यह सर्व विदित है कि मुक्त कला विभाग द्वारा दी जाने वाली शिक्षा छात्रों के मन-मस्तिष्क में परिवर्तन लाती है तथा उन्हें यह पाठ्यक्रम रचनात्मक सोच के साथ-साथ प्रभावकारी तरीके से सूचनाओं के विश्लेषण के लिए तैयार करता है। अन्य विषयों से इतर यहविभाग अपने छात्रों के मन-मस्तिष्क को इस प्रकार से प्रशिक्षित करता है कि वह आजीवन इसके प्रभाव के अंतर्गत सामाजिक उत्थान हेतु कार्य करता है।
कला इतिहास के प्राध्यापक, स्वार्थमोर के टी. किटाउ ने अपने एक संबोधन में मुक्त कला-शिक्षा के बारे में कहा कि “इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत पढ़ाए जाने वाले विषय से महज नाममात्र के लाभ होते हैं, इसका महत्व उतना ही है जितना कि किसी कहानी के सुनने के बाद उससे ग्रहण की गई शिक्षा को लेकर होता है। इस विषय का वास्तविक अध्ययन तो काफी गंभीर, रहस्यपूर्ण तथा अथाह सागर जैसा है जिसे संक्षिप्त में किसी कहानी की तरह बताना कठिन है। इसे अनुभव के आधार पर समझा जा सकता है जो कि मानव का एक अभिन्न अंग के जैसा है। विषय वस्तु को कैसे पढ़ा जाए, कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति किस प्रकार से किसी चीज के बारे में सोचता है, इसे समझना आवश्य है।” इसी संदर्भ में एक दूसरे महान शख्सियत स्टीव जॉब्स ने कहा है कि “केवल तकनीकी ही पर्याप्त नहीं है। तकनीकी का मुक्त कला विषय के साथ जोड़कर देखना होगा, उसे मानवता के साथ मेल कराना होगा और इसके उपरांत जो परिणाम हासिल होंगे उससे हमारे हृदय को तृप्ति मिलेगी।” इस सिलसिले में यह जान लेना आवश्यक है कि यदि छात्रों को इसके मूलभूत सिद्धांतों को जानना है, उन्हें विशेषज्ञता प्राप्त डिग्री हासिल करनी है, तो यह आवश्यक है कि वे मुक्त कला विषय में शिक्षा ग्रहण करें। इस पाठ्यक्रम के ग्रहण के उपरांत छात्रों को विविध क्षेत्रों में अपना करियर बनाने का अवसर भी मिलेगा।
21वींसदी में बदलते सामाजिक परिवेश को देखते हुए त्रिपुरा विश्वविद्यालय ने यह निर्णय लिया कि यहां स्नातकोत्तर स्तर पर मुक्त कला पाठ्यक्रम का अध्यापन कराया जाए। इसे अंतर्गत ही वर्ष 2019 में 20 छात्रों की प्रवेश क्षमता के साथ इस विभाग की स्थापना हुई। वर्ष 2019-20 के दौरान इस पाठ्यक्रम में कुल 13 छात्रों ने प्रवेश लिया। संप्रति, विभाग द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के प्रथम एवं द्वितीय सेमेस्टर में सांस्कृतिक अध्ययन, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान तथा मानवशास्त्र जैसे विषयों के अध्ययन कराए जाते हैं।
2019
डॉ. जहर देबबर्मा
अर्थशास्त्र विभाग
कुल विजिटर्स की संख्या : 4512114
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अंतिम अद्यतनीकरण : 04/10/2023 02:02:38
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